क्लैमाइडिया एक यौन संचारित बीमारी (एसटीडी) है। यह क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण है। क्लैमाइडिया संक्रमण से महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब को स्थायी रूप से नुकसान हो सकता है और भविष्य में बांझपन और अस्थानिक गर्भावस्था का खतरा हो सकता है। अतः उचित समय पर इसका सही इलाज होना आवश्यक होता है।
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आइये जानते है क्लैमाइडिया से बचने के लिए किन घरेलु उपायों को अपनाया जा सकता है :
- हल्दी: हल्दी एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और समृद्ध एंटीऑक्सिडेंट के रूप में जानी जाती है । हल्दी के उपचार से क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत में लाभ होता है। हल्दी को भोजन या दूध में डाल कर या हल्दी की चाय बना कर पी सकते हैं। हल्दी का सेवन दिन में दो बार या उससे अधिक बार करना लाभकारी होगा।
- अजवाइन: अजवायन में अनेकों औषधीय गुण पाए जाते हैं अतः अजवायन के तेल में क्लैमाइडिया को दूर करने के लाभकारी गुण उपस्थित होते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार अजवायन में प्राकृतिक संक्रमण को दूर करने वाले थायमोल और कारवाकरोल जैसे तत्व पाए जाते हैं जिसमें हीलिंग कैपेसिटी पाई जाती है। क्लैमाइडिया के संक्रमण होने पर साबुत अजवायन या इसके तेल का सेवन लाभकारी होता है या प्रभावी स्थान पर आप इसका तेल भी प्रयोग कर सकती हैं । गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं को अजवायन के सेवन से बचना चाहिए।
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- लहसुन: लहसुन के औषधीय गुणों के कारण हजारों वर्षों से इसका प्रयोग अनेकों बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। लहसुन जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीप्रोटोजोल गुणों से भरपूर होने के कारण बैक्टीरियल संक्रमण को दूर करने में लाभकारी होता है। क्लैमाइडिया से संक्रमित होने पर नियमित रूप से प्रति दिन 1-2 कच्चे लहसुन का सेवन लाभकारी होता है । प्रति दिन चार से अधिक लहसुन के फाकों का सेवन नहीं करना चाहिए अन्यथा इससे मतली, दस्त या उल्टी हो सकती है।
- जैतून का तेल :जैतून के तेल में रोगाणुरोधी और एंटीवायरल गुण शामिल होने के कारण यह क्लैमाइडिया के लिए एक प्रभावी घरेलू उपचार माना जाता है। क्लैमाइडिया से बचने के लिए जैतून के कैप्सूल का सेवन बहुत ही लाभदायक होता है।
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