आज जिसे देखो बीते समय की धुनि रमाता है
“पहले के समय मे तो” से शुरू करके हर बात बताता है
आज का समय बदल गया है, अब वो बात नही है
ये कह कह के अपने बचपन के किस्से सुनाता है
और में हर बार उनको ये समझाता हूँ
की हर दौर की अपनी एक खासियत है
पुरानी चीज़ो की भी नए बाज़ारों में
अपनी अलग चमक अलग हैसियत है
और फिर ऐसा भी क्या बदल गया
बीते कुछ सालों में
बस कुछ हल्की सफेदी ही तो आयी है
अब भी ज़्यादातर काले बालों में
जो तब होता था वो आज भी होता है
बस कुछ अलग अंदाज में
जैसे फाइलें अब लैपटॉप में होती हैं
जो पहले होती थी दराज़ में
प्यार तब भी होता था और अब भी
प्रेमी कल भी मिलते थे और आज भी
पहली मुलाकात में नज़रें तब भी झुकती थी
पहली मुलाकात में नज़रें अब भी झुकती हैं
बस पहले आंखें शर्म से झुकती थी
और आज फ़ोन पर चेक इन करने के लिए।
मुलाकात के बाद घर वापस जाने तक मन में तरह तरह के जज़्बात तब भी उबलते थे
और आज भी उछलते हैं
बस तब सिर्फ इतना लगता था कि
आस पास वाले कहीं हाल देख के समझ न जाएं
और आज निकलते ही हाल ए दिल का स्टेटस अपडेट हो जाता है
छिप छिप के बातें तब भी होती थी
छिप छिप कर बातें आज भी होती हैं
बस तब कान पे रिसीवर होता था
और उंगलिया या तो बालों में या रिसीवर के तार में चलती थीं
और आज कान में हैडफ़ोन्स होते हैं
और उंगलियां व्हाट्सएप्प पर चलती हैं
तस्वीर यार की साथ तब भी होती थी
तस्वीर यार की साथ अब भी होती है
बस तब किसी पुरानी किताब में छिपी होती थी
और आज फोन के किसी फोल्डर में
वो तस्वीर बाहर जन्मदिन पर तब भी आती थी
तस्वीर खास दिन पर बाहर अब भी आती है
बस तब सब से छिप कर उसे चुम कर वापस रख देते थे
और आज उसको इंस्टा स्टोरी बना देते हैं
हाँ उस समय साथ मे फोटो होना बड़ी बात थी
और आज जैसे रोज़ का काम है
तब घर से बहुत दूर जाके मिलते थे
जहां पहचान का कोई न हो और
दोस्त अपने मांगे हुए कैमरे से तस्वीर खींच देता था
बस आज मिलते हैं फोन निकालते हैं
और खुद सेल्फी ले लेते हैं
तब लिफाफे में वो फोटो आपस मे बदलते थे
आज दिल वाला स्माइली लगा के व्हाट्सएप्प कर देते हैं
प्यार नाकाम तब भी होते थे
प्यार नाकाम अब भी होते हैं
बस पहले उसका नाम बच्चो का रख देते थे
आज उसका नाम पासवर्ड बन जाता है
हाँ हर चीज़ में हल्का फुल्का सा फर्क आया है
पर जज़्बात अब भी वही हैं