आज के आधुनिक युग में चाहे हमने कितनी ही तरक्की क्यों न कर ली हो परन्तु आज भी भारतियों के बीच में सेक्स के बारे में खुलेआम बात करना शरमसार माना जाता है। भारत में सेक्स के बारे में जानने के लिए तो लोग हमेशा ही इक्छुक रहते हैं परन्तु बंद कमरों के पीछे अतः भारत में सेक्स एजुकेशन एक बड़ा मुद्दा हैं। बहुत सी जनता इस पक्ष में है और बहुत सी इस पक्ष के विरोध में। जिसके चलते सेक्स एजुकेशन की दिशा में सही रूप से कार्य नहीं हो पा रहा हैं। सेक्स एजुकेशन की कमी के कारण बच्चों से लेकर बड़ों के बीच में सेक्स के बारे में सही जानकारी का आभाव
होने की वजह से बहुत सी स्वास्थ्य और सामजिक परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ता है।
यौन शिक्षा क्या है :
यौन शिक्षा एक व्यापक शब्द है जिसका उपयोग मानव यौन शरीर रचना, यौन प्रजनन, संभोग और मानव यौन व्यवहार के अन्य पहलुओं के बारे में शिक्षा का वर्णन करने के लिए किया जाता है।
यौन शिक्षा से जुड़े प्रश्न :
यौन शिक्षा से जुड़े बहुत से अनसुलझे प्रश्न हैं जैसे कि क्या छात्रों को सेक्स से दूर रहने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए या सुरक्षित सेक्स का अभ्यास करना चाहिए, क्या यौन शिक्षा का कार्य स्कूलों का है या परिवार के सदस्यों का या कौन सी उम्र यौन शिक्षा के लिए उपयुक्त होनी चाहिए आदि। हमारे समाज में यौन शिक्षा की कमी से अनेकों प्रकार की चिंताएं बढ़ रही हैं ।
क्यों जरूरी है यौन शिक्षा :
यौन स्वास्थ्य न केवल रोग या एक दुर्बलता है बल्कि यौन-स्वास्थ्य का संबंध शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक कल्याण से भी जुड़ा होता है। अतः इन सभी पहलुओं में सुधार लाने के लिए यौन शिक्षा को बढ़ावा देना जरुरी है।
यौन शिक्षा सभी लोगों का अधिकार होना चाहिए। क्योकि शिक्षा युवाओं को अपने शरीर, स्वास्थ्य और जीवन के बारे में निर्णय लेने में मदद प्रदान करती है। यह बदले में, एक बेहतर जीवन शैली प्रदान करती है।
यौन स्वास्थ्य शिक्षा एचआईवी, एसटीआई, और अनपेक्षित गर्भावस्था को रोकने में 100 प्रतिशत प्रभावी तरीके के रूप में काम करती है ।
बच्चे यौन शिक्षा के आभाव में अपने जिज्ञासू स्वभाव के कारण सेक्स से जुडी आधी-अधुरी जानकारी टीवी, पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। जोकि बच्चे के मनोविज्ञान के लिए जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में यदि बच्चे को ठीक और सही तरीके से यौन शिक्षा का ज्ञान हो तो ऐसे में बच्चों के भटकने की संभावनाएं कम होगी।
यौन शिक्षा द्वारा युवाओं में इसके प्रति जिम्मेदारी का अहसास होगा जिससे वे उत्सुकता के बजाय संभव परिणाम के पूरे ज्ञान के साथ सेक्स करने का प्रयास करेंगें जिससे सेक्स के कई नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
यौन शिक्षा द्वारा महिलाओं को भरपूर जानकारी प्राप्त करने में आसानी होती है कि विवाह के बाद गर्भावस्था को कैसे स्थगित किया जा सकता या तब तक कैसे स्थगित किया जा सकता जब तक कि दोनों साथी इसके लिए पूरी तरह तैयार न हो।
यौन शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण योगदान लोगों में यह समझने में किया जा सकता है आप कही यौन उत्पीड़न के शिकार तो नहीं हो रहे हैं। यदि ऐसा उनको प्रतीत होता है तो वह इस विषय के बारे में किसी सेबात कर सकते हैं। महिला और बाल विकास विभाग के अध्ययन के आकड़े बताते हैं कि देश में करीब 53 फीसदी बच्चे और महिलाएं किसी न किसी तरह के यौन शोषण का शिकार हो रहे हैं।