आज के समय में तनाव जीवन का हिस्सा बन चुका है। जिसमें पुरुषों ही नहीं महिलाओं में भी यह समस्या आम हो चुकी है। अनियमित जीवनशैली, काम का बोझ और तनाव का असर जिंदगी के साथ अब हार्मोन में परिवर्तन के रूप में भी सामने आने लगा है। महिलाओं में होने वाले हार्मोनल असंतुलन को कुछ योगासनों द्वारा आसानी से ठीक किया जा सकता है। आइए आपको बताते हैं क्या हैं वे योगासन।
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त्रिकोणासन-
त्रिकोणासन को नियमित करने से हार्मोनल असंतुलन को दूर करता है और हार्मोन्स का स्राव बेहतर करता है। इस आसन को करने के लिए अपने हाथों के बराबर में पैरों को फैला लीजिए। दोनों हाथों को ढीला छोडकर लटकने दीजिए। सांस को अंदर खींचते हुए दाहिने हाथ को आसमान की तरफ ऊपर ले जाइए और बाएं हाथ को शरीर से सटाकर नीचे ही रहने दीजिए। अपने हाथ और पैरों को सीधा रखिए। जब सांस को बाहर छोडते हुए दाहिने हाथ की तरफ झुकिए, इस बीच आपका दाहिना हाथ जमीन के समानांतर होना चाहिए। इसके बाद तेजी से बाएं हाथ से जमीन को छूने की कोशिश कीजिए। सांस लेते हुए सामान्य स्थिति में आइए। इसी क्रिया को विपरीत दिशा में भी दोहराते हुए कम से कम 5 बार कीजिए।
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धनुरासन-
धनुरासन करने से हार्मोन्स को रिलीज करने वाली ग्रंथियों को ठीक होती है। यह आसन बाजुओं के साथ-साथ पूरे शरीर से अतिरिक्त चर्बी काटने में कारगर होता है। इसके साथ ही शरीर में लचीलापन भी आता है और शरीर को मजबूत बनता है। धनुरासन करने के लिये सबसे पहले ठुड्डी को जमीन पर रखें, पैरों को घुटनों से मोड़ें और दोनों हाथों से पैरों के पंजों को पकड़ लें। इसके बाद सांस भीतर भरें और बाजू सीधे रखते हुए सिर, कंधे व छाती को जमीन से ऊपर को उठाएं। इस स्थिति में सांस को सामान्य रखें और चार से पांच सेकेंड के बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पहले छाती, कंधे और फिर ठुड्डी को जमीन की ओर लाएं। अब पंजों को छोड़ें और कुछ देर आराम करें। इस प्रक्रिया को कम से कम तीन से पांच बार दोहराएं।
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भुजंगासन
भुजंगासन करना शरीर के लिए बहुत अच्छा होता है इससे शरीर में होने वाले केमिकल असंतुलन को सामान्य करता है। भुजंगासन करने से मांसपेशियों मजबूत होती हैं, और यह शरीर को लचीला बनाता है। इस आसन से न सिर्फ बाजुओं से अतिरिक्त चर्बी दूर होती है बल्कि पूरे शरीर से फैट कम होता है और शरीर चुस्त दुरस्त बनता है। भुजंगासन करने के लिए पेट के बल जमीन पर लेट जाएं और फिर दोनों हाथों के बल पर शरीर के कमर से ऊपर के भाग को ऊपर की तरफ उठाएं, लेकिन ध्यान रहे कि इस समय आपकी कोहनी मुड़ी होनी चाहिए और हथेली खुली और जमीन पर फैली हो। इसके बाद शरीर के बाकी हिस्से को बिना ज्यादा हिलाए-डुलाए चेहरे को ऊपर की ओर लाएं। कुछ समय के लिए इस स्थिति में रहें और सांस छोड़ते हुए वापस आ जाएं।
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