एक महिला के जीवन में बहुत से बदलाव आते हैं, उनमें से एक है जब वो मां बनने जा रही होती है। लेकिन महिला प्रेगनेंट है या नहीं, यह महिलाओं के लिए समय पर जानना जरूरी है। ऐसे में गर्भ ठहरने के छह से आठ हफ्तों के बीच, जब शरीर में अधिक बदलाव नहीं दिखते, तब इन लक्षणों की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि प्रेगनेंसी है या नहीं। क्या आप भी जिंदगी में एक कदन आगे बढ़ाने का सोच रही हैं?
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हालांकि प्रेगनेंसी जानने के लिए केवल इन लक्षणों के आधार पर समय खराब करने के बजाय इन्हें पहचानकर टेस्ट करना ही बेहतर है, फिर भी इनकी मदद आप सजग जरूर हो सकते हैं।
मासिक चक्र
प्रेगनेंसी के शुरुआती आठ हफ्तों के भीतर सिर्फ एक बार हल्की ब्लीडिंग प्रेगनेंसी का लक्षण हो सकती है। आमतौर पर प्रगेनेंसी के शुरुआती दिनों में पीरियड्स भी रुक जाते हैं। हालांकि सिर्फ इस आधार पर किसी महिला का गर्भावती होना नहीं माना जा सकता है क्योंकि पीरियड्स रुकने के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
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बहुत अधिक थकान
गर्भ धारण करने के पहले हफ्ते से ही बहुत अधिक थकान होना, खासतौर पर सुबह के समय थकान, एक प्रमुख लक्षण है। इस अवस्था में शरीर में प्रोजेस्टोरोन हार्मोन बनता है जिससे शरीर बहुत जल्दी थक जाता है।
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ब्रेस्ट में बदलाव
जब आप प्रेगनेंसी की शुरुआती दौर में होते हैं तो उस समय आपकी ब्रेस्ट में भी परिवर्तन होता है। वहीं दूसरे या तीसरे सप्ताह तक ब्रेस्ट में सूजन या कड़ापन महसूस होता है। शरीर में हार्मोनल बदलाव की वजह से ये बदलाव होते हैं।
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ऐंठन होना
इस दौरान महिलाओं को हल्की ऐंठन भी महसूस होने लगती है ऐसा इसलिए होता है क्योकि भ्रूण के गर्भाशय की दीवार से जुड़ने लगती है। महिलाओं को पेट, पेल्विस या कमर के निचले हिस्से में ऐंठन महसूस होती है। इसमें खिंचाव, या खुजली जैसा लगता है।
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जी मचलना और उल्टियां
देखा गया हैं कि 99 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को पीरयड्स रुकने के आठ सप्ताह के भीतर उल्टियां या जी मचलने जैसी समस्या जरूर होती हैं। इसके आधार पर गर्भ के भीतर बच्चे या जुड़वा बच्चे का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।
इंप्लांटेशन ब्लीडिंग
अंतिम पीरियड के एक या दो हफ्ते बाद योनि से कुछ बूंद खून निकलने की स्थिति को इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं। स्पॉटिंग आमतौर पर तब होता है जब भ्रूण गर्भाशय में प्रत्यारोपित हो जाता है, जो कि गर्भावस्था का एक मुख्य लक्षण है।
क्रेविंग होना
क्रेविंग भी गर्भवती होने का एक प्रमुख लक्षण है। गर्भवती महिला में किसी विशेष चीज के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है और हर वक्त वही खाने का दिल करने लगता है। कई बार ऐसा भी होता है कि इस दौरान महिला की डेली डाइट अचानक से बढ़ जाती है ।
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पाचन से संबंधी समस्याएं
प्रेगनेंसी में कई तरह के बदलाव देखना आम बात है, वहीं प्रेगनेंसी के छठें हफ्ते में कई बार कई अलग-अलग तरह की समस्याएं भी होती हैं जिसमें सीने में दर्द, गैस्ट्रिक, एसिडिटी आदि प्रमुख हैं। इसका कारण भी शरीर में होने वाला हार्मोनल बदलाव हो सकता है।
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पसंद बदलना
गर्भवती होने पर शरीर का तापमान अक्सर सामान्य तापमान से अधिक बना रहता है। इतना ही नहीं इस दौरान समय-समय पर मूड भी बदलता रहता है। कभी कोई चीज अच्छी लगने लगती है तो कभी उसी चीज से नफरत हो जाती है।