सेक्स लत एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने यौन व्यवहार पर काबू नहीं कर पाता है। हमेशा मन में चलने वाले यौन विचार व्यक्ति कि काम करने की क्षमता, रिश्तों और उनकी दैनिक गतिविधियों को भी बहुत अधिक प्रभावित करते हैं।सेक्स लत को हाइपरसेक्सुअल डिसऑर्डर के नाम से भी जाता जाता है।हाइपरसेक्सुअल डिसऑर्डर से ग्रषित व्यक्ति कल्पनाओं के माध्यम से सेक्स के बारे में हमेशा सोचते रहते हैं और ये व्यक्ति सामान्य से भी अधिक सेक्स जैसी क्रियाओं में लिप्त रहते हैं, ऐसी अवस्था इनके पार्टनर के लिए दुखदाई हो सकती है। ये व्यक्ति पोर्न, हस्तमैथुन, पैसे देकर सेक्स करना और कई लोगों के साथ सेक्स करना जैसी गतिविधियों में संलग्न हो सकते हैं। परिणामस्वरूप, ऐसे लोग अपने दैनिक काम और रिश्तों सहित जीवन के अनेक क्षेत्रों में संकट महसूस कर सकते हैं। हाइपरसेक्सुअलिटी समस्याग्रस्त तब हो जाती है जब यह किसी व्यक्ति के संकट का कारण बनना शुरू हो जाती है , या ऐसे व्यक्ति खुद या किसी और को नुकसान पहुंचाने का जोखिम उठाने लगते है। हालांकि इस प्रकार के व्यवहार को डीएसएम-5( DSM-5 ) में शामिल नहीं किया गया है। हाइपरसेक्सुअलिटी के लक्षण कम से कम छह महीने की अवधि में पहचाने जा सकते हैं।
निम्नलिखित मानदंड के अनुसार हाइपरसेक्सुअलिटी की पहचान की जा सकती है:
1.बार-बार तीव्र यौन कल्पनाएं आना, जिसकी वजह से आपके व्यवहार में तीव्रता महसूस होना साथ ही इन प्रतिक्रियाओं पर नियंत्रण पाने में बहुत परेशानी का अनुभव होना आदि।
2. यौन व्यवहार करने के लिए प्रेरित होना , बाद में कम तनाव महसूस करना , परन्तु कुछ देर बाद अपराध या पछतावा भी महसूस करना ।
3. अपनी यौन कल्पनाओं और व्यवहार को कम या नियंत्रित करने की असफल कोशिश करने का प्रयास करना।
4. अकेलापन, अवसाद, चिंता या तनाव से बचने के लिए यौन व्यवहार का सहारा लेना।
5. यौन व्यवहारों में संलग्न रहने की वजह से दैनिक काम काज और रिश्तों की हानि होना।
6. स्वस्थ और स्थिर संबंध स्थापित करने और बनाए रखने में परेशानी का अनुभव होना।
7. व्यक्ति का यौन व्यवहारों में शामिल न होने पर व्यथित, चिंतित, बेचैन और संभवतः हिंसक हो जाना।
8. यौन व्यसन के कारण सामाजिक, कार्य-संबंधी, या मनोरंजक गतिविधियाँ से दूर भागना।