आमिर खान की फिल्म दंगल का ये डायलॉग “हमारी छोरिया छोरों से कम हैं के” आज की नारी ने ये बात साबित कर दी हैं। आज हर क्षेत्र में चाहे फिल्म जगत हो , फैशन हो , या हो खेल जगत हर जगह नारीयो का ही बोल बाला हैं आज हम ऐसी ही कुछ महिलाओ के बारे में बताने वाले है जिनके प्रदर्शन ने ये बात सच कर दी हैं की छोरिया किसी भी क्षेत्र में कम नही हैं और ना ही उनको कम समझने की गलती करे।
बैडमिंटन का ऐतिहासिक गोल्ड, वर्ल्ड चैम्पियनशिप 2019 की जीत क्वीन बनी पी.वी सिंधु
इतिहास रचने वाली दुती चंद
भारत की बेटी और धाविका दुती चंद ने इटली में 30वें समर यूनिवर्सिटी गेम्स में 100 मीटर कॉम्पिटिशन का गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुकी हैं इसी के साथ अपने बेहतरीन प्रदर्शन के कारण 11.24 सेकंड का राष्ट्रीय रिकॉर्ड रखने वाली दुती किसी वैश्विक इवेंट की 100 मीटर रेस में गोल्ड जीतने वाली पहली महिला बन चुकी हैं ।
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अपनी खुशी को बयान करते हुए दुती चंद ने कहा वर्षों की मेहनत और आपकी दुआओं के कारण मैंने वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में 11.32 सेकेंड का समय निकालते हुए 100 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने नाम किया.’ दुती चंद का जन्म ओडिशा के जाजपुर जिले में हुआ है और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा ओडिशा के चाका गोपालपुर गांव के एक स्थानीय स्कूल से की और आज बेहतरीन प्रदर्शन से भारत का नाम रोशन कर रही हैं ।
गोल्डन गर्ल हिमा दास
भारत की नई उड़न हिमा दास ने 20 दिनों में 5 स्वर्ण पदक जीतकर ये दिखा दिया हैं की 19 साल में भी नाम कमाया जा सकता हैं और भारत का नाम रोशन करा जा सकता हैं , भारतीय स्प्रिंटर का यह प्रदर्शन किसी सपने से कम नहीं है. हिमा जिस तरह के फॉर्म में हैं उसमे लाजिमी ही है कि अब खेल प्रेमियों की उनसे उम्मीदों भी काफी बढ़ गयी होंगी ।
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असम के छोटे से गांव से निकली हिमा उस समय चर्चा में आयी थीं, जब जुलाई 2018 में फिनलैंड के टैम्पेयर शहर में उन्होंने इतिहास रच दिया था. हिमा ने आईएएएफ विश्वअंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता था. यह पहला मौका था जब भारत को आईएएएफ की ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल हुआ था।
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पीवी सिंधु स्टार शटलर
पीवी सिंधु भारत की स्टार शटलर है पीवी ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से इतिहास रच चुकी है उन्होंने बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप के विमिंस सिंगल्स के फाइनल में जापानी खिलाड़ी नोजोमी को एकतरफा हराते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम करके इतिहास रच चुकी है क्योंकि वह इस टूर्नमेंट खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बनी ।
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साल 2017 और 2018 में रजत तथा 2013 व 2014 में कांस्य पदक जीत चुकीं सिंधु ने पहले गेम में अच्छी शुरुआत की और आज उनकी ये मेहनत रंग ला रही हैं और देश की बेटी भारत का नाम रोशन कर रही है ।
मानसी जोशी का साहस
महाराष्ट्र की रहने वाली मानसी की बचपन से ही बैडमिंटन में रुचि रही। पढ़ाई के दौरान ही जिला स्तर पर बैडमिंटन खेल चुकी थीं। लेकिन 2011 में ट्रक से हुए एक सड़क हादसे ने उनके जीवन को बदल दिया। हादसे के बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाने में तीन घंटे लग गए। हाथ भी फ्रैक्चर था। 10 घंटे बाद ऑपरेशन थियेटर पहुंचाई गईं, जहां 12 घंटे सर्जरी चली, पैर को काटकर उनका जीवन बचाया गया पर मानसी के विश्वास ने खुद को फिर से इतना मजबूत बनाया, कि विश्व चैंपियनशिप में अपने प्रिय खेल बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीत लिया उनके इस साहस को हम सभी का नमन हैं ।
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पीयू चित्रा की जीत
चित्रा जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में बहरीन की खिलाड़ी से स्वर्ण पदक की दौड़ में हार गयी थी जिसका बदला लेते हुए उन्होंने इस बारएशियाई एथलेटिक्स स्वर्ण पदक कब्जा किया।
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चित्रा ने स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा, “मैं जकार्ता हार का बदला लेना चाहती थी। मुझे ख़ुशी है कि मैंने धीमी दौड़ वाली स्पधार् में पदक जीता और अपने 2017 के खिताब को बचाने में कामयाब रही।” उन्होंने दौड़ 4:14.56 समय में पूरी की। बहरीन की खिलाड़ी ने उन्हें हराने की भरपूर कोशिश की लेकिन चित्रा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया।