कलाकृति यानी अंग्रेज़ी में जिसे “पेंटिंग” कहते हैं, प्राचीनता की चादर ओढ़े आधुनिकता के रंगों से सराबोर घर की सजावट में अहम् स्थान रखती है। पुराने ज़माने में खूबसूरत झूमरों के साथ पेंटिंग ही सजावट में आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहती थीं। आज भी हम किसी पुरानी इमारत या महल को देखें तो पेंटिंग नज़र आएंगी। सजावट की यह परंपरा आज भी जारी है। जब इतनी ही अहमता है पेंटिंग की, तो क्यों न ज़रा विस्तार से चर्चा की जाए ।
जानिए रंग कैसे करते है आपके मन को प्रभावित
पुरातन और नवीनता का समागम
पुराने ज़माने से घर की सजावट में पेंटिंग का विशेष स्थान रहा है और यह परंपरा आज भी है। यूं तो पेंटिंग किसी भी विषय पर आधारित हो सकती है। लेकिन, मुख्यतया प्राकृतिक दृश्य, पशु-पक्षी या फूलों पर आधारित पेंटिंग ज़्यादा लोकप्रिय हैं। आधुनिक परिवेश में जो पेंटिंग ज़्यादा लोकप्रिय हैं, उन्हें “मॉर्डन आर्ट” कहा जाता है। पेंटिंग कैसी भी हो, दीवारों की ख़ूबसूरती इनसे निखरती ही है। सूर्योदय-सूर्यास्त से लेकर बाग-बगीचे, लोकप्रिय इमारतें सभी कुछ आकर्षित करती हैं। लेकिन कमरों के आकार-प्रकार और दीवारों के रंग के हिसाब से भी पेंटिंग से घर की शोभा बढ़ानी चाहिए ।
मसलन, पूजा कमरे में गीतोपदेश, रामायण के दृश्य, लोकप्रिय मंदिर या भगवान की पेंटिंग ही संगत लगती है। पूजा कमरे में मॉर्डन आर्ट की कोई जगह नहीं है। रसोई एवं खाने के कमरे में हल्के रंगों में बनी फल-फूल की कलाकृति आंखों को सुखद लगती हैं। बैठक के लिए प्राकृतिक दृश्य या मॉर्डन आर्ट बेहतर हैं। इस कमरे में कुछ गहरे रंग अच्छे लगते हैं। सोने के कमरे में हमेशा हल्के रंगों की ही पेंटिंग होनी चाहिए । बच्चों के कमरे में भी ऐसी पेंटिंग हो जो प्रेरणास्रोत बने।हम बच्चों की बनायी पेंटिंग से भी दीवारों को सजा सकते हैं, इससे उन्हें भी प्रोत्साहन मिलेगा।
रंगों का ख़ास ख़्याल
चूँकि, आजकल वास्तु की महत्ता विशेष है, इसलिए पेंटिंग के चयन में रंगों का ख़ास ख़्याल रखा जाता है। कहते हैं, सूर्योदय या दौड़ते हुए घोड़ों की पेंटिंग से हम में ऊर्जा का संचार होता है।
पीला, गुलाबी या नीला रंग भी वास्तु के हिसाब से आकर्षित करता है, लेकिन लाल रंग का ज़्यादा इस्तेमाल निराशा का संचार करता है।
ज़रूरी है सही चयन
घर की ख़ूबसूरती में पेंटिंग की आवश्यकता को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता । लेकिन, ख़ूबसूरती तभी बढ़ेगी जब इन्हें सही जगह पर लगाया जाए। कुछ लोग तो पेंटिंग के इतने शौक़ीन होते हैं कि निरंतर कलाकृति की प्रदर्शनी में जाते हैं ख़रीददारी के लिए। एक बात का अवश्य ख़्याल रखना चाहिए कि पेंटिंग हम जो भी लगाएँ, उनसे घर में सकारात्मक ऊर्जा का ही संचार हो, नकारात्मक नहीं। साथ ही घर की ख़ूबसूरती भी बढ़े।
तात्पर्य यही है कि घर की ख़ूबसूरती में पेंटिंग हमेशा अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं और हमेशा रहेगा। ऐसा कोई घर नहीं है, जहां पेंटिंग न हो। कहीं कम, कहीं ज़्यादा हो सकती हैं पर होती अवश्य हैं। अपनी पसंद और घर के हिसाब से पेंटिंग से घर की ख़ूबसूरती में चार चांद लगाएं।